नदी बोली समन्दर से | Kunwar Bechain

नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास आई हूँ। मुझे भी गा मेरे शायर, मैं तेरी ही रुबाई हूँ।। मुझे ऊँचाइयों का वो अकेलापन नहीं भाया लहर होते हुये भी तो मेरा मन न लहराया मुझे बाँधे रही ठंडे बरफ की रेशमी काया। बड़ी मुश्किल से बन निर्झर, उतर पाई मैं धरती पर छुपा कर रख मुझे सागर, पसीने की कमाई हूँ।। मुझे पत्थर कभी घाटियों के प्यार ने रोका कभी कलियों कभी फूलों भरे त्यौहार ने रोका मुझे कर्तव्य से ज़्यादा किसी अधिकार ने रोका। मगर मैं रुक नहीं पाई, मैं तेरे घर चली आई मैं धड़कन हूँ मैं अँगड़ाई, तेरे दिल में समाई हूँ।। पहन कर चाँद की नथनी, सितारों से भरा आँचल नये जल की नई बूँदें, नये घुँघरू नई पायल नया झूमर नई टिकुली, नई बिंदिया नया काजल। पहन आई मैं हर गहना, कि तेरे साथ ही रहना लहर की चूड़ियाँ पहना, मैं पानी की कलाई हूँ। --कुँवर बेचैन  

हम धरती पुत्र बिहारी हैं| Shambhu Shikhar| Bihar Gaurav Geet

हम श्रमनायक हैं भारत के,और मेधा के अवतारी हैं। हम सौ पर भारी एक पड़ें,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। वेदों के कितने बंध रचे,हमनें गायत्री छंद रचे साहित्य-सरित की धारा में,कितने ही काव्य प्रबंध रचे हम दिनकर-रेणु-बाणभट्ट,विद्यापति और भिखारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। सत्ता जब मद में चूर हुई,हम जयप्रकाश बनकर डोले 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'दिनकर बोले हम सिखों के दशमेश गुरु,बिरसा मुंडा अवतारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। पहला-पहला गणतंत्र दिया,और अर्थशास्त्र का मंत्र दिया नालंदा से हमनें जग को,शिक्षा का पहला मंत्र दिया गिनती को शून्य दिया हमनें,गणनाएँ भी बलिहारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। मैथिली-अंगिका-भोजपूरी,हम लोकगूंज किलकारी हैं दुनिया पूजे धन की देवी,हम सरस्वती के पुजारी हैं जिसके आगे बौना पहाड़,दशरथ मांझी धुनधारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। शहनाई जिसपर नाज़ करे,बिस्मिल्लाह ख़ान हम ही तो हैं शारदा लोकशैली गायक,सुर की पहचान हम ही तो हैं दुनिया पूजे उगता सूरज,हम ढलते के भी पुजारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। वैभव दुनिया के त्याग सभी,हम 'अप्पो दीप' वरदानी हैं खुद को भी जीत लिया हमनें,पर तनिक नहीं अभिमानी हैं हम आदिनाथ, हम ऋषभदेव,हम महावीर अवतारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं। दुनिया जिसमें उलझी रहती,उन प्रश्नों को सुलझा देंगे एक दिन की खातिर मोदीजी,मोहलत जो दें तो बिहारी को हम पाकिस्तानी सेना का,घर में कल्ला भसका देंगे हम सवा लाख से एक लड़ें,हम सौ पर भारी एक पड़ें। गुरु की तलवार,दुधारी हैं हम धरती पुत्र बिहारी हैं,हम धरती पुत्र बिहारी हैं।

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