Posts

Showing posts from July, 2021

नदी बोली समन्दर से | Kunwar Bechain

नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास आई हूँ। मुझे भी गा मेरे शायर, मैं तेरी ही रुबाई हूँ।। मुझे ऊँचाइयों का वो अकेलापन नहीं भाया लहर होते हुये भी तो मेरा मन न लहराया मुझे बाँधे रही ठंडे बरफ की रेशमी काया। बड़ी मुश्किल से बन निर्झर, उतर पाई मैं धरती पर छुपा कर रख मुझे सागर, पसीने की कमाई हूँ।। मुझे पत्थर कभी घाटियों के प्यार ने रोका कभी कलियों कभी फूलों भरे त्यौहार ने रोका मुझे कर्तव्य से ज़्यादा किसी अधिकार ने रोका। मगर मैं रुक नहीं पाई, मैं तेरे घर चली आई मैं धड़कन हूँ मैं अँगड़ाई, तेरे दिल में समाई हूँ।। पहन कर चाँद की नथनी, सितारों से भरा आँचल नये जल की नई बूँदें, नये घुँघरू नई पायल नया झूमर नई टिकुली, नई बिंदिया नया काजल। पहन आई मैं हर गहना, कि तेरे साथ ही रहना लहर की चूड़ियाँ पहना, मैं पानी की कलाई हूँ। --कुँवर बेचैन  

बदरिया बरस गयी उस पार....

Image
हम सावन की बाट देखते डटे रहे इस पार बदरिया बरस गयी उस पार दादुर मयूरा पपीहा बोले भ्रमर सुमन पर डोले तक सतरंगी इंद्रधनुष को मन खाया हिचकोले बैरन हुई समीर, दिशा भटकी शीतल बौछार बदरिया बरस गयी उस पार पहली भेंट हुई पनघट पर मन के खुले किवाड़ तिल भर की बेजान तमन्ना पल में हुई पहाड़ दिल पर लगी तीर सी पैनी, वो पुरवैया ब्यार बदरिया बरस गयी उस पार रातों जागे दिन दिन भागे हम पीछे वो आगे भाग्यवान बस खुद समझा शेष अभागे लागे ऐसा जादू चला नेह का, बिखरा घर परिवार बदरिया क्यों बरसी इस पार हम सावन की बाट देखते डटे रहे इस पार बदरिया बरस गयी उस पार /

एक है कहानी

Image
एक आँख है हंसी तो एक आँख पानी तेरी मेरी जिंदगी की एक है कहानी जो धरा की है तपन वही गगन का पानी इस जमीं की आसमां की एक है कहानी। एक आग दीप में है एक चिता की अगन एक आग ज्योति है तो एक आग है जलन एक ही कथा है किन्तु अलग अलग मानी तेरे सुख की मेरे दुख की एक है कहानी। पी गए नदी समूची पर तृषा नहीं मिटी प्यास तो बुझी मगर ये कामना नहीं बुझी दौड़ती रही हिरण सी रेत पर जबानी तृप्ति या हो प्यास की हो एक है कहानी। दोपहर का सूर्य देख आँख चौंधिया गयी कुछ प्रकाश कम हुआ तो दृष्टि राह पा गयी रात और दिन का भेद जानते हैं ज्ञानी अन्धकार रोशनी की एक है कहानी। मुस्कुराहटों के मोल ऐसे भी दिए गए जब हँसा गुलाब रोम रोम शूल बिंध गए प्यार के प्रदेश में है गम की राजधानी हर सुमन की हर चुभन की एक है कहानी। मंदिरों में पूजते हैं मूरतें नयी नयी खुद को पढ़ सके न, पढ़ीं पोथियाँ कई कई फिर भी हम समझ न पाए ज्ञानियों/सूफियों की वाणी आदमी की देवता की एक है कहानी। जीना आया तब तलक तो जिंदगी फिसल गयी आइना वही रहा पर सूरतें बदल गयी फिर नवीन कोख ढूँढे आत्मा पुरानी मृत्यु और जिंदगी की एक है कहानी।

Popular posts from this blog

बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का || कविता तिवारी की कविता झांसी की रानी || Kavita Tiwari poem on Jhansi Ki Rani lyrics

टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की | सुदीप भोला | किसान | Farmer's suicide

छुक छुक छुक छुक रेल चली है जीवन की || chhuk chhuk rail chali hai jeevan ki