निर्जला शुष्क सी धरती पर मानवता जब कुम्भलाती है
जब घटाटोप अंधियारे में स्वातन्त्र्य घडी अकुलाती है
जब नागफनी को पारिजात के सदृश बताया जाता है
जब मानव को दानव होने का बोध कराया जाता है
जब सिंघनाद की जगह शृगालों की आवाजें आती हैं
जब कौओं के आदेशों पर कोयलें बाध्य हो गाती हैं
जब अनाचार की परछाई सुविचार घटाने लगती है
जब कायरता बनके मिशाल मन को तड़पने लगती है
तब धर्म युद्ध के लिए हमेशा शस्त्र उठाना पड़ता है
देवी हो अथवा देव रूप धरती पर आना पड़ता है।
हर कोना भरा वीरता से इस भारत की अँगनाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का।
गोरों की सत्ता के आगे वीरों के जब थे झुके भाल
झांसी पर संकट आया तो जग उठी शौर्य की महाज्वाल
अबला कहता था विश्व जिसे जब पहली बार सबल देखी
भारत क्या पूरी दुनिया ने नारी की शक्ति प्रबल देखी
फिर ले कृपाण संकल्प किया निज धरा नहीं बँटने दूँगी
मेरा शीश भले कट जाये पर अस्तित्व नहीं घटने दूँगी ।
पति परम धाम को चले गए मैं हिम्मत कैसे हारूंगी
मर जाऊँगी समरांगण में या फिर गोरों को मारूँगी।
त्यागे श्रृंगार अवस्था के रण के आभूषण धार लिए
जिन हाथों में कंगन खनके उन हाथों में तलवार लिए
शिशु पृष्ठ भाग पर बाँध लिया वल्गाएं साधी दातों में
फिर घोटक पर होकर सवार गह लिए खड्ग निज हाथों में
जब तक महिशेष शीश पर है उदाहरण तरुणाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का।
गोरों की सेना पर रानी दावानल बनके छायी थी
रणचंडी ने खप्पर भर के तब अपनी प्यास बुझाई थी
उड़ चला पवन के वेग पवन बादल बादल बन बरस गया
चपला सम चमकी तलवारें दुश्मन पानी को तरस गया
रण बीच अकेली डटी रही साहस के गूँजे नारे थे
दुश्मन से बाज़ी जीत गए पर हम अपनों से हारे थे।
त्रेता में पद लोलुप होकर भाई को जब मरवाता है
द्वापर में राज हड़पने को जब महायुद्ध हो जाता है
सत्ता को अक्षुण रखने का जब लोभ मोह जग जाता है
तब गद्दारी का कुटिल दाग उसके माथे मढ़ जाता है।
इतिहास साक्ष्य बन जाता है हर अकथनीय सच्चाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का।
😘😘
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ReplyDeleteMem AAP ki kavita hame bahu prasad hai
ReplyDeletePlease aap hame apni kavita ka hindi pdf send kar do