नील गगन में इंद्र धनुष से किसने रंग बिखेरे सारे, टिम टिम तारों की भाषा में करता रहता कौन इशारे....
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टिम टिम तारों की भाषा में करता रहता कौन इशारे।
कौन मेघ बरसाकर मुझको सदा डुबोता रहता रस में
मुझे सुलाने को हर संध्या डुबा रहा है कौन तमस में
कौन जगाना चाहे मुझको रोज भेज रवि के उजियारे
नील गगन में इंद्र धनुष से किसने रंग बिखेरे सारे
टिम टिम तारों की भाषा में करता रहता कौन इशारे।
फूलों की डाली पर किसका सुमन सुमन बन मन खिलता है
किसका आँसू हरी दूब पर सुबह सुबह मुझको मिलता है
कौन मिलन हित रोता रहता मेरे लिए प्रकृति के द्वारे
नील गगन में इंद्र धनुष से किसने रंग बिखेरे सारे
टिम टिम तारों की भाषा में करता रहता कौन इशारे।
किसके कमल नयन छुक छुप कर मुझको रोज निहारा करते
किसके प्राण पपीहा बनकर प्रतिदिन मुझे पुकारा करते
किसको कहूँ कहानी अपनी मैं हूँ मौन लाज के मारे
नील गगन में इंद्र धनुष से किसने रंग बिखेरे सारे
टिम टिम तारों की भाषा में करता रहता कौन इशारे।
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Comments
बहुत सुंदर रचना है।
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