मानुष इस कलयुग में कब तक मुझको साफ़ करेंगे
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मेरी गंदगी मुझपे छोड़ो कुछ अपनी भी साफ करो
मानुष इस कलयुग में कब तक मुझको साफ़ करेंगे
राजनीति में मैं ही शेष हूँ अब सब मेरा जाप करेंगे
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई झगड़ों में जान नहीं है
जात पात के कौम कबीलों में उनका का मान नहीं है
मैं ही बची हूँ वोटबैंक मेरा ही सब प्रलाप करेंगे
मानुष इस कलयुग में कब तक मुझको साफ़ करेंगे
भवसागर तारणी मैं गंगा इन सब को तार रही हूँ
गंगा जमना तहज़ीबों की भारत में तू रसधार रही हूँ
मेरे जल में बहने वाला कल भी नेता बन जाता है
मेरी साफ़ सफाई करने वाला नेता ही मुझको खाता है
आडम्बर में नेता नित अपने क्रिया और कलाप करेंगे
मानुष इस कलयुग में कब तक मुझको साफ़ करेंगे
मेरी छाती में नौकाओं के दल क्रीड़ा खेल रहे हैं
गंगा तट पर सभी तामसी मांस मदिरा पेल रहे हैं
नाना आखेटों से धाराएँ घिरी दिखाई पड़ी हैं
गंगाजल बेचनेवालों से चिरी दिखाई पड़ी है
ये सारे मेरी महिमा धीरे-धीरे हाफ करेंगे
मानुष इस कलयुग में कब तक मुझको साफ़ करेंगे
मेरे नाम से संस्थाएँ घाटों पे चंदा काट रही हैं
साधू माई और पंडों की पीढ़ी धंधा पाट रही हैं
पत्र फूल धूली हवन सुमन सब तो गंगा ढोती है
अब तो मैली पापी से कम भक्तों से ज्यादा होती है
राजनीति के भक्त बाबरे फिर कुछ पाप करेंगे
मानुष इस कलयुग में कब तक मुझको साफ़ करेंगे
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